
राजस्थान उच्च न्यायलय के जस्टिस अशोक कुमार जैन ने कहा की महाभारत एवं अन्य पैराणिक ग्रंथो में कर्म और न्याय की अवधारणा की तरफ फिर से लोटना पड़ेगा।
हमें अपने अतीत को संभालकर सम्पूर्ण विश्व को ज्ञान तथा नैतिकता का पाठ पढ़ाना पड़ेगा। जैन मानविकी पीठ सभागार में आरयू के संस्कृत विभाग और पांच वर्षीय लॉ कॉलेज की और से भारतीय ज्ञान परम्परा में विधि एवं न्याय की अवधारणा विषय पर आयोजित अंतराष्टीय संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा की न्यायलय में याचिका अंतिम उपाय होना चाइये पहले मध्यस्थता तथा अनौपचारिक ढंग से मामले के निस्तारण का प्रयास करना चाहिए। भारतीय परम्परा में ऐसा ही प्रचालित था। आरयू की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा ने प्राचीन भारतीय विचार को बृहस्पति, कात्त्यायन, शुक्र और कामंदक के उदाहरणों से भारतीय न्याय व्यवस्था तथा दंड प्रणाली के प्राचीन रूप पर व्याख्यान दिया।
इस मोके पर गुरुकुल कांगड़ी विवि के पूर्व कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार, बंगाल विवि के प्रो. रघुनाथ घोष ने व्याख्यान दिया।
संघोष्ठी संयोजक संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. राजेश कुमार और आयोजन अध्यक्ष पांच वर्षीय लॉ कॉलेज के निदेशक डॉ. अखिल कुमार ने बताया की देश के 22 राज्यों से 200 तथा प्रदेश के 500 से अधिक विद्वान् शामिल हुए है।
उल्लेखनीय काम करने वाले 100 विद्वानों को भी सम्मानित किया। 4 सत्रों में 200 शोध पत्र पढ़े गए।