
जयपुर के प्रताप नगर सेक्टर 8 में श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के संत भवन में उर्जयंत सागर महाराज के संधीय में श्रावकाचार विषय पर विद्वत संगोष्ठी सानंद संपन्न हुई।
विशिष्ट वक्ता डॉ. सनत कुमार जैन ने बताया कि प्रत्येक मनुष्यों को अपने पापों से बचने एवं जीवन को धर्म की ओर मोड़ने हेतु किए गए पुरुषार्थ ही जीवन में काम आएंगे। क्योंकि आहार, निन्दा, भय, ओर मैथुन ये चारों क्रियाएं पशुओं में भी पाई जाती है। एक मात्र धर्म ही मनुष्य को मानव बनाता है।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ. श्रेयांस सिंघई ने बताया कि चारों गतियों में से मात्र मनुष्य गति में ही धर्म करने का अवसर मिलता है और इस अवसर को भूल वंश पांचों इंद्रियों के भोगों में ही बिता दिया जाय तो पुनः धर्म धारण करने हेतु अनंतो भवो के बाद ही अवसर मिल पाता है। अतः श्रावकों को अपने जीवन में छह आवश्यकों को अवश्य ही धारण कर जीवन सफल बना लेना चाहिए।
उर्जयंत सागर महाराज ने बताया कि आज जैन समाज में धर्म के श्रेत्र में दिखावा ज्यादा हो गया है। श्रावक अपने कर्तव्यों से विमुख हो रहे है। समाज, राजनीति , जनसंख्या, सदाचार, शाकाहारी, आर्थिक ओर सांस्कृतिक क्षेत्रों में निरंतर समाज नीचे गिरती जा रही है।
इस अवसर पर केंद्रीय महामंत्री सुरेंद्र कुमार पांड्या, वरिष्ठ अतिथि राजस्थान अंचल अध्यक्ष अनिल कुमार जैन भूत पूर्व अध्यक्ष उत्तम चंद पांड्या, कार्याध्यक्ष डॉ. णमोकार, धार्मिक क्षेत्र के राष्ट्रीय निर्देशक डॉ. भाग चंद जैन, सुरेश बांदीकुई, रूपेद छाबड़ा समेत कई लोग मौजूद थे।