
सकल जैन समाज द्वारा राष्ट्र निर्माण के लिए जैन एकता और सनातन धर्म विषय पर जयपुर के एक निजी कॉलेज परिसर में परिचर्चा का आयोजन हुआ। परिचर्चा में शवेतांबर दिगम्बर समाज की प्रमुख संस्थाएं शामिल हुई। मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रोढ प्रान्त प्रमुख प्रवीण जैन, ज्योतिषाचार्य मनोज गुप्ता एवं डिप्टी मेयर पुनीत कर्णावट रहे।
कार्यक्रम की प्रस्तावना ने अक्षय हैं ने कहा कि जैन और वैदिक सनातन की दो समांतर की धाराएं है। अतिशय क्षेत्र महावीर जी के अध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल, राजस्थान चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष केएल जैन, एंप्लॉयर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष नरेंद्र जैन, सौरभ जैन, अनीता बोथरा, भागचंद जैन ने विचार व्यक्त किए।
प्रवीण जैन ने कहा कि राष्ट्रवाद जैन और सनातन एक दूसरे के पूरक है कही कोई विरोध नहीं है। जैन हो या अन्य, भारतीय परंपरा ही पूरे विश्व की सोचती है। इसलिए भारत विश्वगुरु है और सनातन है। उन्होंने जैन धर्म की समसामयिक समस्याओं पर चिंतन करते हुए जैन एकता के साथ राष्ट्रवाद पर बल दिया उन्होंने रामायण का उदाहरण देते हुए कहा कि वरिष्ठ लोग समाज के जांबवंत बने और हनुमान रूपी युवा पीढ़ी को समाज और राष्ट्र कार्य में सक्रिय करे। वहीं, विशिष्ट वक्ता मनोज गुप्ता ने भी अपने विचार रखे।
जैन धर्म शास्वत ओर यह सनातन का पर्यायवाची है
मुख्य अतिथि ग्रेटर निगम के डिप्टी मेयर पुनीत कर्णावट ने जैनियों के अहिंसा, अपरिग्रह एवं अनेकांत के सिद्धांतों को विश्व की समस्त समस्याओं के निराकरण में सक्षम बताया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए ज्योति कोठारी ने कहा कि जैन धर्म शास्वत है और यह सनातन का पर्यायवाची शब्द है। जैन शास्त्रों के अनुसार पुनर्जन्म के सिध्दांत विश्वास करने वाले को हिंदू कहा गया है। उस अर्थ में जैन , बौद्ध ओर वैदिक तीनों ही पुनर्जन्म पर विश्वास करने के कारण हिंदू है।