
अर्ह ध्यान योग प्रणेता मुनि प्रणयम सागर महाराज ने पारस पुराण के आचार्य भक्ति भावना प्रसंग पर कहा कि जो आचरण करते भी है और कराते भी है, जो 12 तप 10 धर्म 6 आवश्यक पंचाचार ओर तीन गुप्ति के धारक होते है, वह आचार्य कहलाते है।
आचार्य परमेष्टि वर्तमान में धर्म को आगे बढ़ा रहे है। आचार्य पद समाज द्वारा , गुरु द्वारा या संघ द्वारा दिया जाता है। वे जयपुर के
मीरा मार्ग के आदिनाथ भवन पर आयोजित धर्म सभा को संबोधित कर रहे थे।
मुनि प्रणयम सागर महाराज ने कहा कि हमे आचार्य की भक्ति करते समय उनके गुण का, उनके कृतित्व का स्मरण करते हुए उनकी भक्ति करनी चाहिए। आचार्य भक्ति करने से तीर्थकर प्रकृति का बंध होता है।
इस मौके पर राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप जैन एवं प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा सहित कई गणमान्य श्रेष्ठिजनों ने मुनि श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।
इससे पूर्व दिगम्बर जैन समाज हीरापथ मानसरोवर ने धर्म सभा में चित्र अनावरण , दीप प्रज्वलन, शास्त्र भेट एवं पाद प्रक्षालन का सौभाग्य एवं पंचकल्याणक हेतु मुनि संघ को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। आदिनाथ दिगम्बर जैन समिति मीरा मार्ग के अध्यक्ष सुशील पहाड़िया एवं मंत्री राजेंद्र सेठी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील बेनाडा, उपाध्यक्ष तेज करण चौधरी, कोषाध्यक्ष लोकेंद्र जैन, संयुक्त मंत्री सीए मनोज जैन, संगठन मंत्री अशोक सेठी, सांस्कृतिक मंत्री जंबू सोगानी, एडवोकेट राजेश काला, अरुण श्रीमाल, अशोक छाबड़ा, अरुण पाटोदी, विजय झांझरी आदि ने अतिथियों का स्वागत किया।