
जैन धर्म का आठ दिवसीय अष्टानिका महापर्व जयपुर में शुरू हुआ। शहर के कई दिगंबर जैन मंदिरों में सबसे पहले घट यात्रा एवं ध्वजारोहण से अष्टानिका महापर्व का शुभारंभ हुआ।
जैन मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना, मंडल विधान, सायंकाल महाआरती भक्ति संध्या के आयोजन हुए। श्री सिद्ध चक्र महामण्डल विधान पूजा एवं विश्व शांति महायज्ञ हुए। आठ अध्य चढ़ाये गए। वही आठ दिन तक धार्मिक अनुष्ठान होंगे।
जयपुर के कीर्तिनगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में मुनि समत्व सागर महाराज ससंघ के सात्रिध्य में पूजा विधान शुरू हुआ। अष्टानिका पर्व के अवसर पर आचार्य विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिपुंगव सुधासागर महाराज के सान्धिय में श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर सांघिजी सांगानेर में श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान शुरू हुआ।
पुण्याजक रिखबचंद, सुरेंद्र कुमार व् नरेंद्र पंड्या ने बताया की कार्यकर्म के पहले दिन सुबह मंगलाष्टक, अभिषेक व् शांतिधारा के बाद जयकारों के बीच घटयात्रा जुलूस निकला गया। घटयात्रा में महिलाए सिर पर मांगलिक कलश व् गीत गाती हुई चल रही थी। घटयात्रा विभिन्न भागों से होती हुई मंदिर प्रागण पहुंची जहाँ पर विधानाचार्य पंडित जितेंद्र कुमार शास्त्री कोटा ने आचार्य निमंत्रण मंडप शुध्दि प्रतिष्ठा सकलीकरण इंद्र प्रतिष्ठा आदि क्रियाए संपन्न करवाई।शाम को संगीतमय शास्त्र सभा व् सांस्कृतिक कार्यकर्म हुए।
राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन ने बताया कि इस विधान के दौरान 13 को 48 दीपकों से भक्तामर स्त्रोत की संगीतमय महा अर्चना व् 14 को भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। अंतिम दिन 15 नवम्बर को सुबह 8.30 बजे मनगलाष्टक शांतिधारा नृत्य नियम पूजा व् विश्व शांति महायज्ञ व् विधान का समापन होगा।
सिद्ध चक्र विधान से कष्टों से मुक्ति आचार्य शशांक सागर
वरुण पथ स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में अष्टानिका के प्रथम दिवस पर शुक्रवार को आयोजित घट यात्रा निकाली गई।
आचार्य शशांक सागर महाराज ने कहा की श्री सिद्ध चक्र विधान से कष्टों से मुक्ति मिलती है। नगर के विभिन्न स्थानों पर आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन और आरती का आयोजन किया गया। समिति अध्यक्ष एम् पी जैन ने बताया कि झण्डारोहण प्रचार्य डॉ शीतल चंद जैन और अखंडदीप जय कुमार प्रभा जैन ने जलाया।